रेखा सेठी। आज की परिस्थितियों को देखते हुए देश के युवाओं में बेरोजगारी कम करने और उनमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने यहां ज्यादा से ज्यादा इनोवेशन, रिसर्च और विकास पर जोर देने की जरूरत है। युवाओं में रोजगार कौशल बढ़ाने के लिए शिक्षण संस्थानों के भीतर और बाहर नवीन प्रशिक्षण रणनीति को अपनाने की लगातार आवश्यकता है। शिक्षण संस्थानों में ऐसा इसलिए करना जरूरी है, क्योंकि छात्रों की रचनात्मकता और समस्या समाधान कौशल को बढ़ावा देने में शिक्षण स्टाफ की भागीदारी की बहुत आवश्यकता होती है, जो अभी तक अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। इसी का परिणाम है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में शिक्षित व्यक्तियों की बेरोजगारी दर करीब 11.4 प्रतिशत है, जबकि भारत की आधी आबादी 25 वर्ष से कम है और लगभग 66 प्रतिशत लोग 35 से कम उम्र के हैं।

भले ही देखने में यह छोटा प्रतिशत लगता है, लेकिन भारत जैसे विशाल देश (दुनिया की दूसरी बड़ी जनसंख्या) में यह बहुत बड़ी संख्या है। इसलिए इस दिशा में सकारात्मक पहल की बहुत जरूरत है। साथ ही, छात्रों को अपने एकेडमिक प्रोजेक्ट के माध्यम से खुद भी उद्यमिता और प्रबंधन दक्षता हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए। वैसे, बहुचर्चित नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) द्वारा शिक्षा को कामर्स और इंडस्ट्री से जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाने की उम्मीद की जा रही है। इससे शिक्षा के हर स्तर पर व्यावसायिक कौशल को ज्यादा से ज्यादा महत्व दिये जाने पर डिमांड और सप्लाई में अभी जो गैप है, वह कम होगा। युवाओं ने अपने शिक्षकों से क्या सीखा और अपनी आमदनी पैदा करने के लिए उन्हें क्या सीखने और जानने की जरूरत है, उनमें यह समझ जैसे-जैसे विकसित होगी, अंतर खुद ब खुद दिखना शुरू हो जाएगा।

इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को भी तेजी से विकसित करना होगा, ताकि शिक्षण संस्थानों से निकलने वाले युवाओं की विशाल संख्या समायोजित हो सके यानी उन्हें समय पर समुचित नौकरी मिल सके। छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़ाने में शिक्षकों की भूमिका को भी पहचानने और बढ़ाने की जरूरत है। कुल मिलाकर, एनईपी 2020 तभी फर्क ला सकता है, जब शिक्षकों के निरंतर प्रशिक्षण में अधिक निवेश किया जाएगा। देखा जाए तो अभी और आने वाले दिनों में डिजिटल ट्रेनिंग शिक्षित युवाओं के लिए नई नौकरियों का एक प्रमुख माध्यम हो सकता है।

तकनीक के अनुरूप नये पाठ्यक्रम: आज के स्टार्टअप और यूनिकार्न युग में निश्चित रूप से मैनेजमेंट एजुकेशन में भी बदलाव लाने की जरूरत है। इस दिशा में प्रयास भी शुरू हो गए हैं। अब मैनेजमेंट एजुकेशन भी टेक्नोलाजी के अनुरूप हो रही है और ऐसे पाठ्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं, जो बिजनेस और डिजिटल स्किल को आपस में जोड़ते हैं। उदाहरण के तौर पर नये पाठ्यक्रमों में डाटा साइंस, डिजिटल ट्रांसफार्मेशन और डिजाइन थिंकिंग जैसी चीजें शामिल की जा रही हैं। इसके अलावा, बड़ी संख्या में बिजनेस स्कूलों ने अपने छात्रों को डिजिटल एंटरप्रेन्योरशिप से परिचित कराने के लिए स्टार्टअप इन्क्यूबेटरों का निर्माण किया है। 

रुझानों पर ध्यान देने की जरूरत: जो युवा एमबीए/पीजीडीएम या दूसरे मैनेजमेंट से जुड़े कोर्स करके मैनेजमेंट और एंटरप्रेन्योरशिप की दिशा में अपनी योग्यता बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें इकोनामी, बिजनेस और टेक्नोलाजी के रुझानों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्हें व्यावसायिक घटनाओं और मुद्दों पर नवीनतम जानकारी से लैस प्रबंधन संस्थानों से इस तरह का कोर्स करना चाहिए। ऐसे बिजनेस स्कूलों में छात्रों का फोकस मैनेजमेंट और एंटरप्रेन्योरशिप स्किल्स सीखने में होना चाहिए। साथ ही, उन्हें बिजनेस और मैनेजमेंट से जुड़ी पत्र-पत्रिकाओं को भी नियमित रूप से पढ़ते रहना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें लगातार यह सोचते रहना चाहिए कि वे अपने बिजनेस की यथास्थिति को कैसे बदल सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने कौशल के विकास पर काम करना चाहिए, जो प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है। वहीं जो युवा इकोनामी और बिजनेस में गहरी रुचि नहीं रखते हैं, उन्हें एमबीए/पीजीडीएम जैसे पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के दौरान दिक्कत होने के साथ-साथ वैसी आकर्षक नौकरियां मिलने के अवसर बहुत कम रहते हैं, प्रबंधन की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद जिनकी उम्मीद की जाती है।

एंटरप्रेन्योरशिप की राह पर ऐसे बढ़ा सकते हैं कदम

  • छात्रों को पढ़ाई के दौरान अपने एकेडमिक प्रोजेक्ट के माध्यम से खुद भी उद्यमिता और प्रबंधन दक्षता हासिल करने की पहल करनी चाहिए।
  • मैनेजमेंट और एंटरप्रेन्योरशिप की दिशा में अपनी योग्यता बढ़ाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को इकोनामी, बिजनेस और टेक्नोलाजी के बदलते रुझानों पर लगातार ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • कई बार परिस्थितियों के अनुसार बिजनेस में बदलाव लाने की जरूरत होती है, इस बात को ध्यान में रखते हुए युवाओं को अपने कौशल पर काम करना चाहिए। प्रबंधन की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण पहलू है।
  • स्टार्टअप शुरू करने की इच्छा रखने वाले युवा के पास कोई इनोवेटिव आइडिया होना चाहिए। साथ ही, इस बारे में स्पष्ट प्लान और रणनीति होनी चाहिए कि उस आइडिया को कैसे प्रतिस्पर्धी बिजनेस का रूप दिया जा सकता है।
  • यह जानना भी बहुत जरूरी है कि अपना ग्राहक आधार किस तरह बढ़ाया जाए।

समुचित योजना बनाकर बढ़ें आगे: यह सही है कि इनदिनों नये-नये तरह के स्टार्टअप शुरू करने को लेकर युवाओं में काफी दिलचस्पी देखी जा रही है। लेकिन युवाओं को किसी भी तरह का स्टार्टअप शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए, ताकि वे सफलता के साथ आगे बढ़ सकें। इसके लिए सबसे पहले स्टार्टअप शुरू करने की इच्छा रखने वाले युवा के पास कोई इनोवेटिव आइडिया होना चाहिए। साथ ही, उस आइडिया को कैसे प्रतिस्पर्धी बिजनेस का रूप दिया जाए, इसके लिए स्पष्ट प्लान और रणनीति होनी चाहिए। इसमें मुख्य चीज यह जानने में होना चाहिए कि वे ग्राहकों को अपने पास तक कैसे ले आएंगे और ग्राहक आधार कैसे बढ़ाएंगे। उन्हें अपनी टीम के लिए ऐसे प्रासंगिक ज्ञान और कौशल वाले लोगों की तलाश करनी चाहिए, जो उनके साथ उनके वेंचर में काम करने के लिए इच्छुक हों। अपने बिजनेस प्लान के बारे में निवेशकों को आश्वस्त कैसे करना है, उन्हें यह भी आना चाहिए। इस तरह, एक बार जब आइडिया और प्लान से लेकर रणनीति, क्षमता, टीम और फंडिंग के लेकर होमवर्क हो जाए, तब विश्वास के साथ बाजार में प्रवेश करना चाहिए।