Pandemic & Eyes Health:
 साल 2020 से जब से कोविड महामारी शुरू हुई है, तब से लेकर आज 2022 में भी ज़्यादातर लोग घरों से काम कर रहे हैं। कोविड के कारण अधिकांश कंपनियों ने वर्क-फ्रॉम-होम मॉड्यूल को अपना लिया है। लोग अपने लैपटॉप पर पहले की तुलना में रोज़ाना ज़्यादा समय बिता रहे हैं। छोटे से लेकर बड़े बच्चे ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, महामारी के कारण लोग और बच्चे ज़्यादा से ज़्यादा समय घरों में बिताने पर मजबूर हुए हैं, जिसकी वजह से टीवी, टैब और मोबाइल का उपयोग भी बढ़ा है। यानी ऑफिस और स्कूल/कॉलेज के काम के बाद भी हम दूसरे गैजेट्स पर समय बिता रहे हैं, जिसका सीधा असर हमारी आंखों पर ही पड़ता है। जैसे ही हम स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताते हैं, वैसे ही हमारी आंखें और नज़र प्रभावित होने लगती है।

ऑर्बिस इंडिया के इंडिया डायरेक्टर डॉ. ऋषि राज बोरह का कहना है, "अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग लंबे समय तक घर के अंदर बिताते हैं, और स्क्रीन की दूरी एडजस्ट नहीं करते हैं, जिसकी वजह से हमारी आंखों को नुकसान पहुंचता है। यही वजह है कि इस दौरान मायोपिया के मामलों में वृद्धि आई है। डिजिटल गैजेट्स से निकलने वाली नीली रोशनी रेटिना की अंदरूनी परत को भी नुकसान पहुंचाती है। इससे कम उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजेनरेशन होता है, जिससे देखने की क्षमता कम हो सकती है। इसमें कोई शक़ नहीं है कि डिजिटल उपकरणों पर ज़्यादा समय बिताना आंखों के लिए हानिकारक होता है।"