Health Tips: Are you also taking curd in lunch or dinner, know the advantages and disadvantages

heaHealth Tips खाने के साथ हम दही का सेवन करते हैं। लेकिन ब्रेकफास्ट लंच या डीनर में दही का सेवन आपकी सेहत पर क्या असर डालता है। इसके बारे में आपने कभी सोचा है। अगर नहीं तो ये रिपोर्ट पढ़ें और जानें।


कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता।
 भोजन में हर अवयव जरूरी हैं। खासकर गर्मियों में दहीं। दहीं में कैल्शियम, विटामिन बी-12, विटामिन बी-2, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। मगर बहुत से लोग एलर्जी के कारण दहीं खाने से डरते हैं कि दहीं खाने से कहीं उनको एलर्जी न छिड़ जाए। मगर आयुर्वेद में इसका भी समाधान मिलता है।
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आयुर्वेदिक चिकित्सक के मुताबिक चरक संहिता में इसका तोड़ है। अगर दहीं में शहद या आंवला मिलाकर खाया जाए तो दहीं की प्रवृत्ति बदल जाती है और एलर्जी की समस्या नहीं होती। साथ ही उत्तम स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक साबित होती। इतना ही नहीं बकरी के दूध की जमी हुई दहीं श्वास, जुकाम रहने वाले मरीजों के लिए ज्यादा लाभदायक है। इसके अलावा दहीं को गर्म करके खाना वर्जित बताया गया है।

आचार्य चरक का वर्णन ज्यादा सटीक

आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डा. शुभम गर्ग ने बताया कि आयुर्वेद में आचार्य चरक ने दहीं के गुण दोष और प्रयोग का विस्तृत वर्णन चरक संहिता में किया है। यह आज के परिपेक्ष में बिल्कुल सही भी है। वैसे तो आचार्य सुश्रुत ने भी दहीं का वर्णन किया है लेकिन आचार्य चरक का वर्णन ज्यादा सटीक बैठता है। दहीं में कई पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके सेवन से पेट के साथ-साथ कई अन्य बीमारियां भी दूर होती हैं। इसलिए तो किसी भी शुभ काम को करने से पहले मीठी दहीं खिलाई जाती है

रात में दहीं खाना वर्जित

दहीं का सेवन रात में, ग्रीष्म, वसंत और शरद ऋतु में करना हानिकारक माना जाता। मूंग की दाल या मूंग के बड़े के साथ दहीं खाना हितकर है। दहीं को रोज नहीं खाना चाहिए। आधी जमी हुई दहीं  को खाने से कई प्रकार के रोग हो जाते हैं। जैसे कि त्वचा के रोग, खून की कमी, चक्कर आना जैसे रोग होते हैं। दहीं वात दोष शामक माना जाता है। दहीं मैदा, त्वचा और शुक्र धातुवर्धक होता है।

गाय के दूध की दहीं से होती है जठराग्नि की वृद्धि

डा. शुभम गर्ग ने बताया कि गाय के दूध से बनी दहीं से जठराग्नि की वृद्धि होती है और हृदय के लिए भी लाभकारी होती है। वहीं भैंस के दूध से बनी दहीं कामोद्दीपक होती है। जबकि बकरी के दूध से बनी दहीं श्वास रोगियों में यानी दमे के रोगियों जुकाम, खांसी एवं बवासीर के रोगियों के लिए उत्तम मानी जाती है।


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