अगर आप अपने बच्चों को समझदार बनाना चाहते हैं तो, इन बातों का ख़याल रखें :



1) अपने बच्चे / बच्चों पर हमेशा गर्व करें, कभी भी कोसे नहीं

2) कभी भी उनकी तुलना नहीं करें, जो अक्सर हम कर दिया करते हैं।आपको यह समझना चाहिए कि हर बच्चा अपने आप में खास होता है. हर बच्चे के अलग सपने और सोच हो सकती है और यह पैरेंट्स का काम है कि वे उनकी भावनाओं और सपनों का सम्मान करें।

3) कभी भी उन्हें कड़ी सजा ना दें। जो बच्चा गलतियां ना करें, शरारत ना करें, वह बच्चा, बच्चा नहीं है।इसका यह मतलब नहीं है कि आप उनकी हर गलती पर आंख मूंद लें। बस बात इतनी है कि उन्हें सजा एक अनुपात में हो।किसी भी परिस्थिति में उन्हें शारीरिक रूप से सजा ना दें. अपना सम्मान खोने के साथ-साथ बच्चों को पीटना उन्हें हिंसक बना देती हैं।आपका बच्चा दूसरों से भी मारपीट करना शुरू कर देगा और उसके अंदर आक्रामकता बढ़ती जाएगी।

4) उन्हें समझाने के लिए स्वाभाविक नतीजे बताएं।

5) सबसे अहम बात यह है कि आपको अपने बच्चे की परवरिश में उनकी उम्र का ख्याल रखना चाहिए।अगर आप अपने टीनेज बच्चे को बिल्कुल छोटे की तरह ट्रीट करेंगे तो यह नुकसानदायक साबित हो सकता है।उम्र बढ़ने के साथ हर बच्चे को आजादी चाहिए होती है इसलिए अपने बच्चे की उम्र के हिसाब से उनकी जरूरतों का ध्यान रखें और उन्हें पर्याप्त स्पेस मुहैया कराएं।हालांकि यह इतना आसान नहीं होता है कि आपका व्यवहार तेजी से बदल जाए लेकिन समय की मांग यही है कि परवरिश में बच्चों की उम्र का खास ख्याल रखें।

6) दूसरों की सलाह पर ना करें पैरेंटिंग।आप दूसरों की सलाह सुनें लेकिन उन पर अमल तभी करें जब वह आप के परिवार के अनुकूल हों, आप से ज्यादा आपके बच्चे को कोई नहीं समझ सकता है इसलिए आपसे बेहतर कोई यह तय नहीं कर सकता है की आपके बच्चे के लिए क्या सही और क्या गलत है।

7) आपके काम आपके शब्दों से ज्यादा बोलते हैं। कई पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों से बहुत अच्छी-अच्छी बातें करते हैं लेकिन खुद अपने पर अमल नहीं करते हैं. यह पैरेंट्स की सब से बड़ी गलती होती है क्यूंकि आपका बच्चा वही सब कुछ सीखता है जो वो आपको करते हुए देखता है।यकीन मानिए कई बातें वह आप के बिना सिखाए आपको देखकर ही सीख जाता है। अपने बच्चों के सामने अपने बर्ताव में खास सावधानी बरतें।

8) हद से ज्यादा लाड ना करें। माता-पिता में सबसे बड़ी खासियत होती है कि उनके अंदर असीम प्यार और स्नेह होता है लेकिन हर चीज एक हद तक ही अच्छी होती है. अगर हद से ज्यादा आप अपने बच्चों को प्यार करेंगे तो आप अपने बच्चों को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।ऐसा अक्सर कहा जाता है कि ज्यादा दुलार से बच्चे बिगड़ जाते हैं और पैरेंट्स के कंट्रोल से बाहर निकल जाते हैं। पैरेंट्स के लिए जितना जरूरी है प्यार-दुलार दिखाना, उतना ही जरूरी है उन्हें सही मूल्यों को सिखाना।पैरेंट्स को कभी भी अपने बच्चों को बहुत ज्यादा ढीलन हीं देनी चाहिए और उनकी हर छोटी-बड़ी मांग को पलक झपकते पूरा नहीं करना चाहिए।

9) सुनें, सुनें और सुनें - अच्छा पैरेंट्स बनने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी बात यही है।हमेशा अपने बच्चों के साथ संवाद कायम करें. उनसे हमेशा बातें करें। उनके डर, भावनाएं और परेशानियों को सुनें और समझें।पैरेंट्स होने का सबसे बड़ा दायित्व है कि आप अपने बच्चे की हर चीज में दिलचस्पी लें और वे क्या कहना चाह रहे हैं, उस में भी। अगर वह कभी मुसीबत या परेशानी में होगा तो दोस्तों या दूसरे लोगों के पास जाने के बजाए आपके पास आएगा।अगर आप चाहते हैं कि वे आपकी सुनें तो इसके लिए भी जरूरी है कि आप पहले उन की सुनें।

10) उन पर किसी चीज का दबाव डालने से पहले उन्हें एक्सप्लेन करें, और उनको अच्छे से समझाएं।अधिकतर पैरेंट्स को लगता है किये उनका अधिकार है कि वे अपने बच्चों के लिए नियम बनाएं और उनकी सजा भी तय करें।लेकिन आप कई बार यह बात भूल जाते हैं कि आपके बच्चे को भी वजहें जानने का हक है। नियम क्यों जरूरी है, क्या वजह है अगर आप इन चीजों को अपने बच्चों को बताएंगे तो आसानी होगी।नियम बनाते समय एक बार बच्चों की बात भी जरूर सुनें।

11) आप उसे रास्ता तो दीखते हैं पर रास्ते पर चलना नहीं।आपको केवल अपने बच्चे को सही रास्ता बताकर नहीं छोड़ देना है बल्कि अपने बच्चे के साथ कुछ कदम चलना भी है।जैसे आप बच्चे को साइकिल चलाने के लिए कुछ दिन साइकिल के हैंडल को थामते हैं, वैसे ही हर एक चीज में पहले उसके साथ कुछ कदम चलें।शब्दों से ज्यादा आपकी मदद उसके लिए जरूरी है।

अंत में मैं बस ये कहूंगा की अपने बच्चों को पर्याप्त समय दें- अगर आप अपने बच्चों के साथ पर्याप्त समय नहीं देर  रहे हैं तो सब से बड़ी गलती कर रहे हैं। बच्चों और आपके बीच दूरी बनती चली जाती है और आप के बीच की अंडरस्टैंडिंग खत्म होती चली जाती है।

(यह केवल मेरे विचार हैं)

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आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद


3 comments:

  1. I appreciate your thought and agree with you sir that we have to change our behavior and thinking about our own ward because each and every child is unique there are lot of capabilities among the child and it is also mandatory to have a good behaviour with them.
    We should understand the feelings and emotions of our own ward so that we can give a good naurtauring to them.
    I personally take attention towards my daughter satyanshi about her activities and emotions and keep in touch with her and also teach her about the changing scenario of the modern world.
    With the help of you, principal sir and all teacher's I and my wife both provide a good environment for development of my daughter.
    I hope positive attention from you side towards my daughter.

    Thanks with regards
    Jai Hind

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    1. Greetings!
      Thanks alot for your appreciation, sir.

      Thanks & Regards

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