दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार के तकरीबन तीन सौ निजी बीएड (बैचलर आफ एजुकेशन) कालेज राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के तय मानकों की कसौटी पर परखे जाएंगे। ऐसे बीएड कालेजों में फैकेल्टी की नियुक्ति और शैक्षणिक आधारभूत संरचना में बड़े स्तर पर घालमेल की शिकायतों के बाद एनसीटीई ने यह कार्रवाई करने का फैसला लिया है। एनसीटीई ने शिक्षा विभाग, बिहार सरकार को एडवाइजरी जारी कर कहा है कि निर्धारित मानदंडों के आधार पर फैकल्टी की नियुक्ति और आधारभूत संरचना की जांच जरूरी है।  

फैकेल्टी व संसाधनों की जांच करेगी एनसीटीई की टीम 

शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि बिहार में तीन सौ से ज्यादा प्राइवेट बीएड कालेज हैं, जो एनसीटीई की जांच की जद में आएंगे। यह सच है कि ऐसे दर्जनों प्राइवेट बीएड कालेज संचालित हैं, जो तय मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। जब तक प्राइवेट बीएड कालेजों में तय मानकों के तहत पर्याप्त शिक्षक और आवश्यक संसाधन नहीं होंगे तब तक इनकी गुणवत्ता में सुधार नहीं हो सकता है। ऐसे कालेजों की गुणवत्ता दुरुस्त होने से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। अगले माह एनसीटीई की टीम बीएड कालेजों में फैकल्टी व इंफ्रास्ट्रक्चर आदि की जांच करेगी। 

ये हैं शिकायतें 

एनसीटीई को शिकायत मिली है कि मौजूदा समय में बीएड कालेजों में एक ही शिक्षक कई जगहों पर इनरोल्ड हैं। यानी उनका नाम कई कालेजों में बतौर फैकल्टी शामिल है, जो नियम के विरुद्ध यानी गलत है। कालेजों की ओर से यह सारा घालमेल फैकल्टी के तय मानकों को पूरा करने के लिए किया जाता है। वैसे भी नियमों के तहत एक शिक्षक एक ही कालेज में पढ़ा सकता है। शिक्षकों को इस बात का एक शपथ पत्र भी देना होगा कि वे एक ही कालेज से जुड़े हैं। पिछले साल एनसीटीई ने तय मानकों के अनुरूप बीएड कालेजों से जानकारी मांगी थी, लेकिन इनमें से करीब 66 कालेजों ने रिपोर्ट नहीं दी। इसे गंभीरता से लेते हुए एनसीटीई ने बीएड कालेज के संचालन के लिए तय मानकों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। नियम के मुताबिक एक वर्ग यानी 50 छात्रों पर सात शिक्षकों का होना अनिवार्य है। यानी सौ सीटों पर दाखिला लेने पर 14 शिक्षक एवं एक प्रिंसिपल का होना जरूरी होगा।