Do not scold if the child has made any mistake, explain them in these 6 ways

अगर आपका बच्चा गलतियां करता है तो मारने या डांटने के बजाय इन तरीकों से समझाएंगे,तो उसे गलती का एहसास जल्दी होगा।

गलती किसी से भी हो सकती है, चाहे बच्चे हों या बड़े। लेकिन बच्चों को उनकी की गई हुई गलती पर डांटना ठीक नहीं। 

उनको उनकी गलती का एहसास कराना जरूरी है। 

लेकिन कुछ अलग तरीके से। बच्चों को इस तरह से समझाएं कि उनका आत्मविश्वास बना रहे और वह अपनी गलतियों से आगे के लिए सीखें। माना बच्चों से गलतियां होना काफी आम है क्योंकि कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता। 

अगर आपके घर में बच्चे हैं तो इस बात का अनुभव आपको भी होगा। 

कई बार हम बच्चों की बार-बार होने वाली गलतियों से तंग आ जाते हैं और उन्हें सबक सिखाने की भी ठान लेते हैं। 

हालांकि आपको इस मामले में धैर्य से काम लेना होगा क्योंकि शरारत भी बचपन का एक हिस्सा होती है।

आप जिस प्रकार अपने बच्चे की गलती पर रिएक्ट करते हैं उसके नतीजे देख कर आप हैरान भी हो सकते हैं क्योंकि बच्चे प्यार और आराम से ही बात मानते हैं।

1. अपने बच्चे के रिएक्शन को देखे 

अगर आपके बच्चे फेल हो गए हैं या उनसे कोई नुकसान हो गया है तो आपको उनका रिएक्शन कैसा है यह भी देखना चाहिए। 

क्या वह इस चीज से खुश हैं?  क्या वह ऐसा होने पर खुद से ही गुस्सा या नाराज हो कर बैठ गए हैं। 

अगर उनसे कोई चीज अनजाने में हो गई है और अब वह बहुत उदास महसूस कर रहे हैं तो आपको इस भावना को उनके दिल से निकलने में सहायता करनी चाहिए।

2. भविष्य पर ध्यान दें

बच्चे को बार-बार गलती याद दिलवाने या उस बारे में बात करने से बेहतर है उसे अगली बार कि तरह से सामना किया जा सकता है यह बात सिखाएं। 

अपने बच्चे को सिखाएं कि जो भी गलत हुआ है उससे आगे काफी कुछ सीखा जा सकता है। यह गलती बच्चे को भविष्य में काम आने वाली है और यह सिखाने वाली है कि जो हुआ उसे आगे कैसे बेहतर ढंग से किया जा सकता है।

3. बच्चे पर नजर रखें

आपके बच्चे ने जो गलती की है आप उस पर किस तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं इस बात का ध्यान रखें। 

क्या आपको लगता है आप अपने बच्चे के लिए काफी सपोर्टिव हैं? 

बच्चे ने जो गलती की है बच्चे को उस गलती के बारे में बताएं लेकिन उसको शर्मिंदा ना करें। क्या आपको लगता है कि आप काफी रिलैक्स और शांत हो कर बच्चे से बात कर रहे हैं? 

अपने बच्चे के लिए प्रेरक बनें न कि भविष्य के लिए बच्चे का हौंसला कम करें।

4. अपने बच्चे पर दया या अफसोस न दिखाएं

अगर आप अपने बच्चे का सहारा हैं तो ध्यान रखें कि आप उन के लिए दया या अफसोस जैसी फीलिंग न लायें। ऐसा करने से बच्चे को यह महसूस हो सकता है कि वह इस काम करने में समर्थ ही नहीं हैं। 

'अगली बार तुमसे ऐसा नहीं हो"; "इसके लिए अफसोस है", जैसे शब्दों का प्रयोग करने की बजाए ऐसा बोलें कि "जिस कारण नहीं हुआ, उस कारण को ढूंढों" और "अगली बार और भी ज्यादा मेहनत करो"।

5. रिजल्ट से ज्यादा तरीके की सराहना करें

अगर आपका बच्चा किसी चीज में फेल भी हो जाता है तो इस प्रक्रिया में उसने अपने सहपाठियों के साथ कितना मजा किया, कितनी यादें बनाई और कितना खुश वह था इन बातों के बारे में याद दिलाएं। 

जिससे बच्चे को यह महसूस हो सके कि इस हार से भी उसने कुछ हासिल किया है।

6. उनके साथ कुछ एक्टिविटी करें

अगर आपके बच्चे इस उदासी से बाहर नहीं आ पा रहे हैं तो आपको उनके साथ मिल कर कोई फन एक्टिविटी करनी चाहिए। 

इससे बच्चे को यह महसूस नहीं होगा कि आप उनसे निराश हो गए हैं और वह आपके साथ ज्यादा घुल मिल भी जायेंगे।

आपके रिएक्शन का बच्चे पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अगर यह रिएक्शन पॉजिटिव और उत्साहवर्धक होगा तो बच्चे को भविष्य में मदद मिलेगी।


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