सऊदी अरब में 22 फ़रवरी को सऊदी अरब का स्थापना दिवस मनाया गया. असल में, 

यह साल 1727 में मोहम्मद बिन सऊद द्वारा पहले सऊदी राज्य की स्थापना का उत्सव है.

इस मौक़े पर कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने बधाई संदेश जारी किए. इस आलेख में हम पढ़ेंगे कि सऊदी अरब की स्थापना कैसे और किन परिस्थितियों में हुई.

सऊदी अरब को इस्लामिक दुनिया का सबसे बड़ा देश माना जाता है.

इस देश के संस्थापक वैसे तो शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद हैं जिनका जन्म 15 जनवरी, 1877 को हुआ था. लेकिन इस राज्य की स्थापना के लिए संघर्ष 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ था, जब 1725 में अल सऊद के मुखिया अमीर सऊद बिन मोहम्मद बिन मकरन का देहांत हुआ.

उस समय नजद में छोटे-छोटे राज्य थे और हर राज्य का अलग शासक होता था. अमीर सऊद बिन मोहम्मद के चार बेटे थे. उन्होंने संकल्प लिया था कि वो नजद में एक सऊदी राज्य स्थापित करेंगे.

अमीर सऊद बिन मोहम्मद के सबसे बड़े बेटे का नाम मोहम्मद बिन सऊद था. वह दिरियाह के शासक बने और उन्होंने शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब की मदद से दिरियाह में अपना शासन स्थापित किया और धीरे-धीरे इसे मज़बूत करना शुरू कर दिया.

शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब नजद के एक प्रसिद्ध विद्वान थे और मुसलमानों की मान्यताओं में सुधार करने की कोशिश में लगे हुए थे.

ऐतिहासिक संदर्भों में यह दावा किया जाता है कि मोहम्मद बिन सऊद और शेख़ मोहम्मद अब्दुल वहाब के बीच साल 1745 में एक ऐतिहासिक मुलाक़ात हुई थी जिसमें उन दोनों ने तय किया था कि अगर मोहम्मद बिन सऊद कभी नजद और हिजाज में अपनी सत्ता स्थापित करने में सफल हुए तो वहां शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब की मान्यताओं को लागू करेंगे.

साल 1765 में शहज़ादा मोहम्मद और 1791 में शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब की मृत्यु हो गई. उस समय तक अरब द्वीप के ज़्यादातर इलाक़े पर अल सऊद का शासन स्थापित हो गया था.

शहज़ादा मोहम्मद के बाद, इमाम अब्दुल अज़ीज़ क्षेत्र के शासक बने, लेकिन साल 1803 में उनकी हत्या कर दी गई. इमाम अब्दुल अज़ीज़ के बाद उनके बेटे सऊद शासक बने, और साल 1814 में उनकी मृत्यु हो गई.

रियाद कब और कैसे राजधानी बना?

सऊद के बेटे अब्दुल्लाह एक महान धार्मिक विद्वान भी थे. उनके शासनकाल के दौरान उनके क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा उनके हाथों से निकल गया और दिरियाह ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में आ गया.

इमाम अब्दुल्लाह को बंदी बना लिया गया और उन्हें इस्तांबुल ले जाकर सज़ा-ए-मौत दे दी गई.

लेकिन जल्द ही उनके भाई मशारी बिन सऊद अपना राज्य वापस लेने में सफल हो गए, लेकिन वह लंबे समय तक शासन नहीं कर सके और उनका राज्य दोबारा ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में चला गया.

इसके बाद, उनके भतीजे शहज़ादा तुर्की बिन अब्दुल्लाह रियाद पर क़ब्ज़ा करने में सफल हुए. यहां उन्होंने साल 1824 से 1835 तक शासन किया.

अगले कई दशकों तक अल सऊद की क़िस्मत का सितारा उगता और डूबता रहा और द्वीप नुमा सऊदी अरब पर नियंत्रण के लिए मिस्र, ऑटोमन साम्राज्य और अन्य अरब क़बीलों में टकराव होता रहा. अल सऊद के एक शासक इमाम अब्दुल रहमान थे जो 1889 में बेअत (उनके प्रति निष्ठा की शपथ) लेने में सफल रहे.

इमाम अब्दुल रहमान के बेटे शहज़ादा अब्दुल अज़ीज़ एक साहसी व्यक्ति थे और साल 1900 में उन्होंने अपने पिता के जीवित रहते हुए ही, उनके खोए हुए साम्राज्य को वापस लेने और उसके विस्तार की कोशिशें शुरू कर दीं.

साल 1902 में उन्होंने रियाद शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया और इसे अल सऊद की राजधानी घोषित कर दिया. अपनी विजय का सिलसिला जारी रखते हुए उन्होंने अल-एहसाई, क़ुतैफ़ और नजद के कई क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया.

मक्का और मदीना पर क़ब्ज़ा

ऑटोमन साम्राज्य के आख़िरी दौर में हिजाज (जिसमें मक्का और मदीना के क्षेत्र शामिल थे) पर शरीफ़ मक्का हुसैन का शासन था जिन्होंने 5 जून, 1916 को तुर्की के ख़िलाफ़ विद्रोह की घोषणा कर दी. हुसैन को न केवल अरब के विभिन्न क़बीलों का बल्कि ब्रिटेन का भी समर्थन प्राप्त था. 7 जून, 1916 को, शरीफ़ मक्का हुसैन ने हिजाज की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी.

21 जून को मक्का पर उनका क़ब्ज़ा पूरा हुआ और 29 अक्टूबर को उन्होंने औपचारिक रूप से ख़ुद को पूरे अरब का शासक घोषित कर दिया. साथ ही, उन्होंने सभी अरबों से कहा कि वो तुर्कों के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा करें. 15 दिसंबर, 1916 को ब्रिटिश सरकार ने हुसैन को हिजाज के बादशाह के रूप में मान्यता देने की घोषणा कर दी.

इसी बीच, अमीर अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद ने पूर्वी अरब के एक बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया और 26 दिसंबर, 1915 को ब्रिटेन के साथ दोस्ती का एक समझौता भी कर लिया. 5 सितंबर, 1924 को उन्होंने हिजाज को भी जीत लिया.

लोगों ने अमीर अब्दुल अज़ीज़ का साथ दिया और शरीफ़ मक्का शाह हुसैन ने सरकार से इस्तीफ़ा दे कर अपने बेटे अली को हिजाज का बादशाह बना दिया. लेकिन अमीर अब्दुल अज़ीज़ के बढ़ते क़दमों के कारण उन्हें भी अपना तख़्त छोड़ना पड़ा.

13 अक्टूबर, 1924 को शाह अब्दुल अज़ीज़ ने मक्का पर भी क़ब्ज़ा कर लिया. इस दौरान शाह अब्दुल अज़ीज़ लगातार आगे बढ़ रहे थे.

5 दिसंबर, 1925 को उन्होंने मदीना की सत्ता भी हासिल कर ली. 19 नवंबर, 1925 को शरीफ़ मक्का अली ने पूरी तरह से सत्ता छोड़ने की घोषणा की और इस तरह जेद्दा पर भी अल सऊद का क़ब्ज़ा हो गया. 8 जनवरी, 1926 को हिजाज के बादशाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद ने एक विशेष समारोह में नजद और हिजाज का पूरा नियंत्रण संभालने की घोषणा कर दी.

इतना तेल निकला कि वे विशेषज्ञ भी दंग रह गए

20 मई, 1927 को, ब्रिटेन ने क़ब्ज़े वाले सभी क्षेत्रों पर जो उस समय हिजाज और नजद कहलाते थे, अब्दुल अज़ीज़ बिन सऊद के शासन को मान्यता दी. 23 सितंबर, 1932 को शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन सऊद ने हिजाज और नजद के साम्राज्य का नाम बदलकर 'अल-मुमालिकत-अल-अरबिया-अल-सऊदिया' (सऊदी अरब) करने की घोषणा कर दी.

शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद ने जल्द ही अपने राज्य को इस्लामी रंग में ढाल दिया. दूसरी ओर, उनकी ख़ुश-क़िस्मती से सऊदी अरब में तेल भंडार होने का पता चला. साल 1933 में शाह अब्दुल अज़ीज़ ने कैलिफ़ोर्निया पेट्रोलियम कंपनी के साथ तेल निकालने का समझौता किया.

पहले कुछ वर्ष कोशिशों में बीत गए, लेकिन साल 1938 में जब कैलिफ़ोर्निया पेट्रोलियम कंपनी के विशेषज्ञ नाकाम होकर वापस लौटने ही वाले थे कि अचानक एक कुएं से ख़ज़ाना उबल पड़ा और इतना तेल निकला कि वे विशेषज्ञ भी दंग रह गए.

अब इतिहास के एक नए युग की शुरुआत हुई. यह घटना न केवल सऊदी शासकों और कैलिफ़ोर्नियाई कंपनी के लिए बल्कि पूरे अरब द्वीप के लिए एक चमत्कार थी. तेल की खोज ने सऊदी अरब को ज़बर्दस्त आर्थिक स्थिरता दी और वहां में ख़ुशहाली आ गई.

9 नवंबर, 1953 को शाह अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल रहमान अल सऊद का निधन हो गया.




Russia Ukraine War रूस के युद्ध के ऐलान के बाद यूक्रेन में लगातार स्थिति बिगड़ती जा रही है, लेकिन अब नाटो की भी भूमिका अहम् होने वाली है। दरअसल, उत्तर अटालांटिक संधि संगठन यानी (North Atlantic Treaty Organization or NATO) उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों का एक सैन्य संगठन है।

इसकी स्थापना 1949 में हुई थी। नाटो का उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य माध्यमों से अपने सदस्यों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी देना है।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने इस संगठन का उस समय मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को सीमित करना था। नाटो की जब शुरुआत या यह संगठन जब बना तो उस समय इसमें सिर्फ 12 देश थे। जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल का नाम शामिल था। हालांकि सोवियत संघ के विघटन के बाद से कई देश नाटो में जा मिले और समय के साथ साथ इस संगठन से और देश जुड़ते रहे और इस प्रकार वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 30 है। बता दे कि नॉर्थ मैसेडोनिया साल 2020 में इसमें शामिल होने वाले सबसे नया मेंबर है।

रूस को नाटो से होने वाली चिंता :
राष्ट्रपति पुतिन का दावा यह है कि पश्चिमी शक्तियां रूस पर अतिक्रमण करने के लिए NATO का उपयोग कर रही है और ऐसे में रूस चाहता हैं कि NATO पूर्वी यूरोप में अपनी सैनिक गतिविधियों को बंद कर दे। रूस लम्बे समय से यह कहता आ रहा है कि अमेरिका ने 1990 में की गयी इस गारंटी को तोड़ दिया है कि अमेरिका पूर्व की ओर विस्तार नही करेगा। लेकिन वहीं NATO में रूस के इन सभी दावों को ख़ारिज कर दिया था और उन्होंने कहा था कि उसके कुछ सदस्य देश रूस के साथ सीमा साझा करते है लेकिन ये सिर्फ रचनात्मक गठबंधन है। 

2014 में NATO ने पूर्वी देशों में कई सहयोगी सैनिको को किया था तैनात 

जब 2014 में युक्रेन ने अपने रुसी समर्थक राष्ट्रपति को पद से हटाया दिया था तब रूस ने युक्रेन के दक्षिण क्रीमिया प्रायद्वीपीय पर हमला करते हुए कब्जा कर लिया था। हालांकि इस दौरान NATO ने हस्तक्षेप तो नही किया लेकिन पहली बार कई पूर्वी देशों में कई सहयोगी सैनिको को तैनात करते हुए रूस को जवाब दिया था।

पूर्वी देशों में बढाई अपनी सैन्य ताकत 
हालांकि इसके बाद NATO ने लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया और पौलेंड में 4 मल्टीनेशनल बटालियन साईज के बैटल ग्रुप लगाए थे वहीं रोमानिया की बात करे तो वहां पर मल्टीनेशनल ब्रिगेडियर को तैनात किया था। जबकि रूस ने ये पहले भी कहा था कि वो इन Forces को हटाना चाहता है।

इस वजह से खिलाफ है रूस :
संयुक्त राज्य अमेरिका ने नाटो की पूर्वी सीमाओं को मजबूत करने के लिए पौलेंड और रोमानिया में करीब 3000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजा था। जबकि अन्य 8500 युद्ध तैयार सैनिकों को अलर्ट पर रखा हुआ था। वहीं यूके ने युक्रेन को 2000 छोटी टोली की टैंक रोधी की मिसाइल को भेजा था। पौलेंड में 350 और सैनिक भेजे थे और अतिरिक्त 900 सैनिकों के साथ एस्टोनिया में अपनी ताकत दोगुनी की थी। इन बातों से यही पता चलता है कि यूक्रेन नाटो का हिस्सा बनना चाहता है लेकिन रूस इस बात के खिलाफ है ।





 रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद वहां रह रहे भारतीयों पर मुसीबत आ गई है। यूक्रेन में पढ़ाई के लिए गए हजारों भारतीय छात्र भी युद्ध के बाद वहां फंस गए हैं। विदेश मंत्रालय भारतीय नागरिकों को स्वदेश सकुशल वापस लाने के लिए तमाम कोशिशें भी कर रहा है। यूक्रेन गई भारतीय फ्लाइट को गुरुवार को बैरंग वापस लौटना पड़ा था। ऐसे में भारत सरकार नागरिकों को वापस लाने के लिए नए प्लान पर काम कर रही है।

दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र और नौकरी कर रहे भारतीयों को निकालना भारत सरकार के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती भी है और सबसे बड़ी प्राथमिकता भी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं अपने कैबिनेट सहयोगियों को निर्देश दिया है कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सकुशल स्वदेश लाना पहली प्राथमिकता हो।

रूस के हमले की वजह से राजधानी कीव के हवाई अड्डे का संचालन ठप हो चुका है, इसकी वजह से विशेष विमान भेजकर भारतीय विद्यार्थियों को निकालने की योजना प्रभावित हुई है। भारतीय विद्यार्थियों को लाने के लिए भेजे गए एक विमान को बैरंग वापस आना पड़ा। ऐसे में भारत यूक्रेन की पश्चिमी सीमा से सटे दूसरे देशों के जमीनी रास्ते से विद्यार्थियों को वापस निकालने में जुट गया है।

विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने आश्वस्त करते हुए कहा कि यूक्रेन में फंसे सभी भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यूक्रेन से सटे चार देशों पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया और हंगरी के रास्ते भारतीय विद्यार्थियों और दूसरे नागरिकों को निकालने पर काम शुरू हो गया है। इन देशों से अलग-अलग 10 भारतीय राजनयिकों की टीम यूक्रेन के लिए रवाना हो चुकी है।

हंगरी स्थित भारतीय दूतावास कर्मियों का एक दल इस उद्देश्य से यूक्रेन की सीमा से सटे जोहांवी नाम की जगह पर भेजा गया है। पोलैंड व रोमानिया की यूक्रेन से लगी सीमा पर भी भारतीय नागरिकों की सुविधा के लिए केंद्र बनाया जा रहा है। जबकि यूक्रेन की सीमा के भीतर भी दो सेवा केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं ताकि जो नागरिक इन पड़ोसी देशों के जरिये बाहर जाना चाहते हैं, उन्हें सुविधा हो।

यूक्रेन में तकरीबन 20 हजार भारतीय नागरिक और विद्यार्थी थे जिनमें से चार हजार पिछले 10 दिनों में वहां से निकल चुके हैं। उधर, केंद्र सरकार पर केरल, तमिलनाडु और बिहार जैसे राज्यों की तरफ से दबाव भी बनाया जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को उठाया और केंद्र से कदम उठाने की अपील की। तमिलनाडु और केरल के मुख्यमंत्रियों ने विदेश मंत्री को पत्र लिखा है और यूक्रेन में फंसे अपने राज्यों के विद्यार्थियों को बचाने की अपील की है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने लिखा कि भारत सरकार को विशेष अभियान चलाकर भारतीय विद्यार्थियों को स्वदेश लाने की व्यवस्था करनी चाहिए। बिहार भवन की ओर से जानकारी दी गई कि स्थानिक आयुक्त लगातार विदेश मंत्रालय के संपर्क में हैं।




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CBSE has appointed new chairman Vineet Joshi. Here's all you need to know about him.



CBSE new chairman announcement was released on February 14, 2022. The official announcement has been made by the Central Board of Secondary Education that Vineet Joshi, Additional Secretary, Department of Higher Education, will take charge. The position has been allocated to Vineet from February 14, 2022.

Earlier, Manoj Ahuja, an Indian Administrative Service officer, was the Chairman of CBSE.

Who is the new CBSE chairman?

Vineet Joshi has been appointed as the new CBSE chairman.

He received education in Annie Besant School, Allahabad, and GIC, Allahabad.

He got an undergraduate degree in mechanical engineering from IIT Kanpur.

He did a Master's degree in Business Administration from the Indian Institute of Foreign Trade.

He was also an IAS officer, 1992 batch, Manipur.

He became the private secretary in 1999 under the Ministry of Youth Affairs and Sports.

He became the private secretary in the Ministry of Food Processing Industries from 2000 to 2001.

 
Bad Foods For Eye Health: क्या आप जानते हैं कौन से फूड्स हमारी आंखों के लिए सबसे खराब हैं? यहां 5 ऐसे फूड्स के बारे में बताया गया है जिनसे आपको आंखों की रोशनी को हेल्दी बनाए रखने के लिए बचना चाहिए.


Unhealthy Foods For Eyes: आंखों के लिए सबसे खराब फूड्स कौन से हैं? क्या आप जानते हैं कुछ चीजों को खाने से आंखों की रोशनी खराब हो सकती है. आंखों के स्वास्थ्य के लिए सबसे खराब फूड्स में से कुछ प्रोसेस्ड फूड्स हैं जिनमें सोडियम, शुगर और अनहेल्दी फैट प्रचुर मात्रा में होती है. आपकी आंखों और दृष्टि के लिए अच्छा पोषण जरूरी है. अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन (एओए) आपकी आंखों के स्वास्थ्य के लिए भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट लेने पर जोर देता है. मांस (या प्लांट बेस्ड फूड्स), नट और सब्जियों के साथ बेहतर भोजन विकल्प बनाकर, आप हेल्दी आंखों की रोशनी को बनाए रख सकते हैं. हालांकि, भले ही बहुत से ऐसे फूड्स हैं जो आंखों की रोशनी को बढ़ावा देते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनसे आपको बचना चाहिए. क्या आप जानते हैं कौन से फूड्स हमारी आंखों के लिए सबसे खराब हैं? यहां 5 ऐसे फूड्स के बारे में बताया गया है जिनसे आपको आंखों की रोशनी को हेल्दी बनाए रखने के लिए बचना चाहिए.

आंखों की रोशनी को बचाने के लिए इन फूड्स को न खाएं 

Do Not Eat These Foods To Save Eyesight


1. टेबल सॉस और ड्रेसिंग

टेबल सॉस और ड्रेसिंग लिस्ट में सबसे पहले हैं. जब आप अनहेल्दी फूड्स के बारे में सोचते हैं तो वे तुरंत दिमाग में नहीं आते हैं, लेकिन वे हाई मात्रा में शुगर और फैट से भरे हो सकते हैं. अगर आप इसे मीठा टॉपिंग से सराबोर करने जा रहे हैं तो एक ताजा, हेल्दी सलाद चुनने का कोई मतलब नहीं है! बहुत अधिक चीनी खाना सामान्य रूप से आपके शरीर के लिए हानिकारक होता है, जिसमें आपकी आंखें भी शामिल हैं.

2. तला हुआ खाना

आंखों के लिए सबसे खराब फूड्स की लिस्ट में फ्राइड फूड्स हैं. तले हुए फूड्स एक अच्छा इलाज हो सकता है, लेकिन अगर आप इनमें से बहुत बार अपनी थाली में रखते हैं, तो यह संपूर्ण शरीर के लिए ठीक नहीं है. तले हुए फूड्स खाना पकाने की प्रक्रिया से वसायुक्त तेलों से भरे होते हैं और ये आंखों के अनुकूल सामग्री नहीं हैं. फिर इन फूड्स को कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए दिखाया गया है. बहुत अधिक खराब कोलेस्ट्रॉल से धमनियां बंद हो सकती हैं, दिल का दौरा, स्ट्रोक और यहां तक कि दृष्टि हानि का खतरा बढ़ सकता है.

3. स्वीट ड्रिंक

बहुत अधिक चीनी का सेवन करने से आपकी आंखों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. अधिक मात्रा में शुगर ड्रिंक पीने से मोटापा होता है, जो बदले में टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है. डायबिटीज से आपकी दृष्टि के लिए बहुत सारे प्रभाव हो सकते है. यह अंध:पतन की और जाता है.

4. प्रोसेस्ड मीट

प्रोसेस्ड मीट आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के साथ-साथ आपकी आंखों के लिए भी बेहद खराब है. जैसे बेकन, सॉसेज और पके हुए हैम जैसे प्रोसेस्ड मीट. इन सभी में नमक की मात्रा अधिक होती है. नमक का उपयोग प्रीजरवेटिव के रूप में किया जाता रहा है, लेकिन आजकल इसे अक्सर बड़ी मात्रा में भोजन में डाला जाता है, और यह आपके स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव डाल सकता है.

5. रेडी मीट

ये भोजन कितना भी सुविधाजनक या स्वादिष्ट क्यों न हो, निश्चित रूप से ये आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं है. जैसा कि हम जानते हैं, एक हाई शुगर डाइट डायबिटीज से संबंधित आंखों की स्थिति के साथ-साथ खराब आंखों की रोशनी के जोखिम को भी बढ़ाता है.

 


दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग इंडियन प्रीमियर लीग के दो दिवसीय मेगा आक्शन (IPL Mega Auction 2022) का आज पहला दिन है। बेंगलुरू में इसका आयोजन हो रहा है। इस बार निलामी में 10 टीमें हैं। गुजरात टाइटंस और लखनऊ सुपरजाइंट्स दो नई फ्रेंचाइजी पहली बार इसका हिस्सा हैं। पहले 590 खिलाड़ियों की निलामी होनी थी, लेकिन अब कुल 600 खिलाड़ियों की होगी। बोर्ड क्रिकेट कंट्रोल आफ इंडिया (BCCI) ने 10 खिलाड़ियों का नाम आक्शन रजिस्टर में जोड़ा है। आइपीएल मेगा आक्शन से जुड़े हर अपड़ेट के लिए बने रहें 

IPL Mega Auction 2022 UPDATES

- तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी का बेस प्राइस दो करोड़ है। नई फ्रेंचाइजी गुजरात टाइटंस ने 6.25 लाख में अपने साथ जोड़ा।

-  श्रेयस अय्यर का बेस प्राइस दो करोड़ है। माना जा रहा था कि वह निलामी में सबसे महंगे खिलाड़ियों में से एक होंगे। ऐसा हुआ भी। आइपीएल मेगा आक्शन 2022 के वह पहले खिलाड़ी रहे जिनके लिए 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली लगी। कोलकाता ने 12.25 करोड़ में खरीदा। रायल चैलेंजर्स बैंगलोर और दिल्ली कैपिटल्स के अलावा लखनऊ सुपरजाइंट्स और गुजरात टाइटंस ने भी इनमें दिलचस्पी दिखाई।

- न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट का बेस प्राइस दो करोड़ है। 8 करोड़ में राजस्थान रायल्स ने इन्हें खरीदा। मुंबई इंडियंस इनमें काफी दिलचस्पी दिखा रही थी। 

- पैट कमिंस के बाद दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाज कैगिसो रबादा के लिए बोली लगी। इनका बेस प्राइस भी दो करोड़ है। पंजाब किंग्स ने उन्हें 9.25 करोड़ में अपने साथ जोड़ा। 

- धवन और अश्विन के बाद तेज गेंदबाज पैट कमिंस के लिए बोली लगी। इनका बेस प्राइस भी दो करोड़ है। कोलकाता नाइटराइडर्स ने उन्हें 7.25 करोड़ में खरीदा।   

- शिखर धवन के बाद आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के लिए बोली लगी। उनका बेस प्राइस दो करोड़ है। पांच करोड़ में राजस्थान रायल्स ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया।

- आइपीएल मेगा आक्शन में सबसे पहले शिखर धवन की बोली लगी। उनका बेस प्राइस दो करोड़ है। पंजाब किंग्स ने इन्हें 8.25 करोड़ में अपने साथ जोड़ लिया। 

पहले दिन लगेगी 161 खिलाड़ियों की बोली

पहले दिन कुल 161 खिलाड़ियों की बोली लगेगी। सबसे पहले मार्की खिलाड़ियों की बोली लगेगी। इस लिस्ट में कुल 10 खिलाड़ी रखे गए हैं। इनमें चार भारतीय खिलाड़ी श्रेयस अय्यर, शिखर धवन, मोहम्मद शमी और रविचंद्रन अश्विन शामिल हैं। इसके अलावा छह विदेशी खिलाड़ी पैट कमिंस, क्विंटन डिकाक,डेविड वार्नर, कैगिसो रबादा, ट्रेंट बोल्ट, फाफ डुप्लेसिस शामिल हैं।

10 नए खिलाड़ियों का नाम जुड़ा

बीसीसीआइ ने आइपीएल 2022 मेगा आक्शन से ठीक पहले नीलामी रजिस्टर में 10 नए नाम जोड़े हैं, जिससे सूची में खिलाड़ियों की संख्या 600 हो गई है। ये खिलाड़ी आरोन हार्डी, लांस मौरिस, निवेथन राधाकृष्णन, अग्निवेश अयाची, हार्दिक तमोरे, नीतीश कुमार रेड्डी, मिहिर हिरवानी, मोनू कुमार, रोहन राणा और साईराज पाटिल हैं। हार्डी, मौरिस और राधाकृष्णन आस्ट्रेलिया से हैं। इनके अलावा बाकी सभी भारत से हैं।

दीपक हुड्डा कैप्ड लिस्ट में शामिल

दीपक हुड्डा ने वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया। उनको आइपीएल मेगा नीलामी की सूची में कैप्ड श्रेणी में अपग्रेड किया गया है। संशोधित नीलामी सूची में हुड्डा सेट नंबर 3 में आलराउंडर खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं। पहले वह सेट नंबर 8 थे और उनका बेस प्राइस 40 लाख रुपये था, जो बढ़ाकर 75 लाख हो गया है।

आइपीएल में दो नई टीमों की एंट्री

आइपीएल में दो नई टीमों की एंट्री हुई है। ये दो टीमें गुजरात टाइटंस और लखनऊ सुपरजाइंट्स हैं। सीवीसी कैटिपल की स्वामित्व वाली गुजरात टाइटंस की टीम ने हार्दिक पांड्या, राशिद खान और शुभमन गिल को आक्शन से पहले जोड़ा। वहीं आरपी संजीव गोयनका ग्रुप की स्वामित्व वाली लखनऊ सुपरजाइंट्स की टीम ने केएल राहुल, मार्क्स स्टोइनिस और रवि बिश्नोई को अपने साथ जोड़ा है। 

इन खिलाड़ियों पर नजर

माना जा रहा है कि इस बार के आक्शन में 10 से ज्यादा खिलाड़ियों की 10 करोड़ रुपये से अधिक की बोली लग सकती है। फ्रेंचाइजियों में होड़ लग गई तो कुछ खिलाड़ी 20 करोड़ के आसपास भी जा सकते हैं। श्रेयस अय्यर, शार्दुल ठाकुर, इशान किशन, हर्षल पटेल की अच्छी बोली लगने की उम्मीद है। इसके अलावा दीपक चाहर युजवेंद्रा चहल को 10 करोड़ रुपये से अधिक मिल सकती है। इसके अलावा फाफ डु प्लेसिस, डेविड वार्नर, जेसन होल्डर और कैगिसो रबादा के भी महंगा बिकने का आसार है। 

यहां पर हम आपको बता रहे हैं Google Photos पर इमेज और वीडियो शेयर करने का सबसे आसान और सबसे तेज तरीका जिससे आप अपने स्मार्टफोन या टेबलेट से फोटो/वीडियो आसानी से शेयर कर सकते हैं।




Google Photos का दुनियाभर में फोटो और वीडियो बैकअप के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यह यूजर्स को उनके स्मार्टफोन या टैबलेट से अपने फोटो और वीडियो का बैकअप बनाने में मदद करता है। इसके अलावा किसी अन्य साइन-इन किए गए डिवाइस पर फोटो और वीडियो का एक्सेस भी देता है। इसके अलावा Google यूजर्स को अन्य यूजर्स के साथ फोटो और वीडियो शेयर करने की भी सुविधा देता है। ऐसे यूजर जिनके पास Google Account नहीं है, वे भी पब्लिक लिंक की मदद से फोटो और वीडियो एक्सेस कर सकते हैं। 

यहां पर हम आपको बता रहे हैं Google Photos पर इमेज और वीडियो शेयर करने का सबसे आसान (लिंक शेयरिंग) और सबसे तेज (नियरबाय शेयर) तरीका जिससे आप अपने स्मार्टफोन या टैबलेट से फोटो/वीडियो आसानी से शेयर कर सकते हैं। 
 

How to share Google Photos with anyone on the internet

  1. यह तरीका उन यूजर्स के लिए बहुत उपयोगी है जो Google Photos का इस्तेमाल नहीं करते हैं। यह शेयर किए जाने वाले फोटो या वीडियो के लिए एक पब्लिक लिंक बना देता है जिसे दूसरा यूजर आसानी से एक्सेस कर सकता है।  
  2. अपने स्मार्टफोन या टैबलेट पर Google Photos ऐप को खोलें।
  3. जो भी फोटो या वीडियो आप शेयर करना चाहते हैं, उन्हें सिलेक्ट करने के लिए टैप और ड्रैग करें। 
  4. Share आइकन पर टैप करें और Create link ऑप्शन को खोजें। 
  5. WhatsApp या Gmail जैसी किसी ऐप को खोलें उसके बाद शेयर करने के लिए लिंक को पेस्ट कर दें। 



लिंक से फोटो शेयर करना आसान हो सकता है लेकिन यह बहुत ज्यादा प्राइवेट तरीका नहीं है। जिस व्यक्ति के पास भी वह लिंक होगा, वह फोटो और वीडियो को एक्सेस कर सकता है। अगर आप इसे और ज्यादा प्राइवेटली करना चाहते हैं तो गूगल फोटोज की इन-ऐप मैसेजिंग सर्विस के साथ कर सकते हैं या किसी शेयर की गई एल्बम के माध्यम से भी कर सकते हैं। अगर आप उस व्यक्ति के पास हैं या उसी कमरे में हैं तो आप हेवी वीडियो और फोटो को Nearby Share के माध्यम भी शेयर कर सकते हैं। 
 

How to share Google Photos with Shared Albums

  1. अपने स्मार्टफोन या टैबलेट पर Google Photos ऐप को खोलें।
  2. Sharing पर टैप करें और फिर Create shared album को चुनें। 
  3. एल्बम को एक शीर्षक देने के बाद इमेज और वीडियो सिलेक्ट करने के लिए Select photos पर टैप करें।
  4. जरूरत की सारी फोटो सिलेक्ट करने के बाद Share पर टैप करें।
  5. अब आप गूगल फोटोज ऐप में उन कॉन्टेक्ट्स को सिलेक्ट कर सकते हैं जिनके साथ आप शेयर करना चाहते हैं। 
ये कॉन्टैक्ट्स उस शेयर की गई एल्बम को अपने Google Photos app में देख सकते हैं। 
 

How to share Google Photos with via in-app Messages

  1. अपने स्मार्टफोन या टैबलेट पर Google Photos ऐप को खोलें।
  2. फोटो सिलेक्ट करने के लिए टैप करें, या शेयर किए जाने वाले वीडियो और फोटो को सिलेक्ट करने के लिए टैप और ड्रैग करें। 
  3. Share बटन को सिलेक्ट करें। 
  4. Google Photos सेक्शन में Send ऑप्शन को देखें। 
यहां पर आप उन कॉन्टेक्ट्स को सिलेक्ट कर सकते हैं जिनके साथ शेयर करना चाहते हैं। 
 

How to share Google Photos with via Nearby Share (Android only)

  1. अपने एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर Google Photos ऐप को खोलें।
  2. फोटो सिलेक्ट करने के लिए टैप करें, या शेयर किए जाने वाले वीडियो और फोटो को सिलेक्ट करने के लिए टैप और ड्रैग करें। 
  3. Share बटन को सिलेक्ट करें। 
  4. Nearby Share पर टैप करें और उसके बाद उस यूजर को सिलेक्ट करें जिसके साथ आप शेयर करना चाहते हैं। 
  5. रिसीव करने वाले व्यक्ति को भी सेटिंग्स में जाकर Nearby Share को इनेबल करना होगा। 
रिसीवर को Accept पर टैप करने के लिए कहें ताकि ट्रांसफर शुरू हो सके। फिर प्रक्रिया पूरी होने तक इंतजार करें।






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CBSE new exam pattern and marking scheme for the session 2021-22 has many changes. These new model papers includes:

  1. MCQ - Multiple Choice Questions
  2. ARQ - Assertion & Reasoning Questions
  3. CBQ - Case-study Based Questions,/li>

The Rahul Sinha is the only blog where you can find the revised question papers with the complete solution. We have CBSE sample papers for class 12, class 11, class 10 and class 9 annual exams including both Term-1 MCQ and Term-2 Subjective. The model question papers and CBSE guess papers help the student to get better scores in the board exam. CBSE Students should practice MCQ Sample question papers as much as possible to get a better understanding of the concepts and to know the weak areas where you need to work a bit harder.


CBSE Term 2 Sample Papers 2021-22 for Class-10 with Solution PDF
Class 10 Term-2 Sample Question Paper & Marking Scheme for Exam 2021-22


          

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Class XII Term 2 Sample Question Paper & Marking Scheme for Exam 2021-22


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Term 2

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